भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुड़िया-4 / नीरज दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:57, 22 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>मेरा चूमना और तुम्हारा खुद को यूँ हवाले कर देना । मेरा गले लगान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा चूमना
और तुम्हारा
खुद को यूँ
हवाले कर देना ।

मेरा गले लगाना
और तुम्हारा
खुद को बेसहारा
छोड़ देना ।

प्यारा में तुम
क्यों बन जाती हो
मेरी गुड़िया !