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गुज़ारिश / गुलज़ार
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मैंने रक्खी हुई हैं आँखों पर
तेरी ग़मगीन-सी उदास आँखें
जैसे गिरजे में रक्खी ख़ामोशी
जैसे रहलों पे रक्खी अंजीलें
एक आंसू गिरा दो आँखों से
कोई आयत मिले नमाज़ी को
कोई हर्फ़-ए-कलाम-ए-पाक मिले