भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुज़ारिश / गुलज़ार

Kavita Kosh से
Abha Khetarpal (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:39, 25 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} <poem> मैंने रक्खी हु…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने रक्खी हुई हैं आँखों पर
तेरी ग़मगीन-सी उदास आँखें
जैसे गिरजे में रक्खी ख़ामोशी
जैसे रहलों पे रक्खी अंजीलें

एक आंसू गिरा दो आँखों से
कोई आयत मिले नमाज़ी को
कोई हर्फ़-ए-कलाम-ए-पाक मिले