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तन्हा / गुलज़ार
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कहाँ छुपा दी है रात तूने
कहाँ छुपायें है तूने अपने गुलाबी हाथों के ठंडे फाये
कहाँ हैं तेरे लबों के चेहरे
कहाँ है तू आज-तू कहाँ है?
ये मेरे बिस्तर पे कैसा सन्नाटा सो रहा है?