भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आसमां में कोई धुंधला सितारा होगा / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:55, 27 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>आसमां में कोई धुंधला सितारा होगा। तलाशे भोर का जनमों से मारा हो…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आसमां में कोई धुंधला सितारा होगा।
तलाशे भोर का जनमों से मारा होगा।

पहली नज़र पड़ते ही मिटते वज़ूद यहां,
माहौले-खौफ़ में कैसे गुज़ारा होगा!

हसरते-दीदार वाले पिटकर लौटे हैं,
कल जलसा यहां फिर कैसे दुबारा होगा!

फस्ले-बहार मांग रही है अब कुर्बानी,
मर मिटने वालों में नाम हमारा होगा!

प्यासे दम तोड़ते मिले गंगा के किनारे,
हमने सच सोचा यहां यह नज़ारा होगा!