यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
क्या तकल्लुफ करे ये कहने में
जो भी खुश है हम उससे जलते है
है उसे दूर का सफर करके
हम सम्भाले नहीं सम्भलते है
है अजब फैसले का सहरा भी
चल न पड़िए तो पाँव जलते है
हो रहा हूँ मैं किस तरहा बर्बाद
देखने वाले हाथ मलते है
तुम बनो रंग, तुम बनो खुशुबू
हम तो अपने सुख्नन में ढ़लते है