बाजी तेरी फ़िर पड़ी, होगी तेरी जीत ।
ये फँसे हैं भोग से, पड़े करो परतीत ।।
पड़े करो परतीत दाव पड़ गए पौबारे ।
चीढे हैं जुग चार सर फ़िर लई हैं सारे ।।
गंगादास ये खेल खेलते हैं अग्गाजी ।
आती है अग्गाज आज जीतेगा बाजी ।।
बाजी तेरी फ़िर पड़ी, होगी तेरी जीत ।
ये फँसे हैं भोग से, पड़े करो परतीत ।।
पड़े करो परतीत दाव पड़ गए पौबारे ।
चीढे हैं जुग चार सर फ़िर लई हैं सारे ।।
गंगादास ये खेल खेलते हैं अग्गाजी ।
आती है अग्गाज आज जीतेगा बाजी ।।