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हनुमान-तेंतालीस / अजित कुमार

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पर्वत को ही कवच बनाकर
लता-गुल्म से उसको ढँककर
नभ में उड़े पवन-सुत सत्वर
हम समझे- ये श्री घोंघावर ।