भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हनुमान-तेंतालीस / अजित कुमार
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:55, 2 अगस्त 2010 का अवतरण
पर्वत को ही कवच बनाकर
लता-गुल्म से उसको ढँककर
नभ में उड़े पवन-सुत सत्वर
हम समझे- ये श्री घोंघावर ।