भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्या कहें / हरीश भादानी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:24, 6 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>क्या कहें किसको कहें कैसी तलाश थी देखा ही नहीं लिए हुए हमें उता…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या कहें
किसको कहें
कैसी तलाश थी
देखा ही नहीं
लिए हुए हमें
उतारती ही गई
कुआं.....नदी.....
समुंदर.....तलहटी
शहर जंगल
भीतर तक
कड़वा गए सब
            
जून’ 78