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तनहाइयाँ-3 / शाहिद अख़्तर
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जिस दिन उसने कहा अलविदा
जिस दिन मेरी जीस्त हुई तन्हा
जिस दिन मेरी आँखें सागर हुईं
उस दिन, उस दिन तुम मेरी हुई
हाँ, और मैं तेरा...
उस दिन मेरी आगोश में
अंगड़ाई ली मेरी तन्हाई
और तबसे निभा रही है वफ़ा