Last modified on 14 अगस्त 2010, at 17:41

लंदन में बिक आया नेता / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:41, 14 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल }} <poem> लंदन में बिक आया नेता, हाथ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लंदन में बिक आया नेता, हाथ कटा कर आया ।
एटली-बेविन-अंग्रेज़ों में, खोया और बिलाया ।।

भारत-माँ का पूत-सिपाही, पर घर में भरमाया ।
अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद का, उसने डिनर उड़ाया ।।

अर्थनीति में राजनीति में, गहरा गोता खाया ।
जनवादी भारत का उसने, सब-कुछ वहाँ गवायाँ ।|

गोटवव