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हर कदम आजमाये गये / रोशन लाल 'रौशन'

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हर कदम आजमाये गये
फिर भी हम मुस्कुराये गये

छोड़कर हमको किस मोड़ पर
सारे अपने-पराये गये

खाक की आमतें जब खुलीं
हर कदम सिर झुकाये गये

उनको इल्जाम क्या दीजिए
दिल के हाथों सताये गये

हम कि खामोश देखा किये
वो लगाए-बुझाये गये

लोग देरो हरम तक गये
वो कहीं और पाये गये