Last modified on 21 अगस्त 2010, at 21:10

शब्द का भरम टूटे / रोशन लाल 'रौशन'

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:10, 21 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोशन लाल 'रौशन' |संग्रह=समय संवाद करना चाहता है / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शब्द का भरम टूटे
इससे पहले दम टूटे

मंजिलों से खत आया
राह में कदम टूटे

पहले दिन से आख़िर तक
दिल पे सारे गम टूटे

खुल के बात हो जाये
शर्म बे-शरम टूटे

खत्म जब कहानी हो
बेहिचक कलम टूटे

खौफ बन गयी जंजीर
चुप की डोर कम टूटे

सच के रास्ते ‘रौशन’
झूठ के सितम टूटे