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अधूरी कविताओं में कवि / मुकेश मानस

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कवि लिखता है बहुत सी कवितायें
उनमें से बहुत ही कम
हो पातीं हैं पूरी
ज़्यादातर रह जातीं हैं
आधी और अधूरी
 
अधूरी कविताओं में होता है कवि
सोचता-विचारता हुआ
परास्त होता हुआ कभी
तो कभी जूझता हुआ
कभी ख़ुद से
और कभी अपने समय से
 
अधूरी कविताओं में होता है कवि
साँस भरता हुआ
और अधूरी कविताओं में होती हैं
कवि की अपार सम्भावनाएँ

रचनाकाल : 2002