जवाँ होती हसीं लड़कियाँ 
सिर्फ़ हसीन होती हैं ।
सिर्फ़ हुस्न होती हैं ।
सिर्फ़ ज़िस्म होती हैं । 
कौन झाँकता हैं उनकी आँखों में 
कि वहाँ सैलाब क्यों है ? 
कौन टटोलता है उनके दिल को 
कि वहाँ क्या बरपा है ?
जवाँ होती हसीं लड़कियाँ 
हसीं तितलियों के मानिंद हैं । 
हर कोई हविस के हाथों में 
उन्हें क़ैद करने को दरपा है ।
जवाँ होती हसीं लड़कियाँ 
कब तलक रहें महुए इंतज़ार ? 
कब तलक बचाएँ ज़िस्मो-जान?
कब तलक सुनाएँ दास्तान-ए-दिल फिगार ??