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दिखने के बड़े/ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
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कुछ बड़े तो मात्र दिखने के बड़े हैं पराये कन्धों पे जो अकड़े खड़े हैं पास जाकर देख लो उनकी जमीं को ढ़ेर लघुता के वहाँ चर्चे गड़े हैं मात्र गुणवत्ता यहाँ काफी नहीं हे यूं तो हीरे हजारों बिखरे पड़े हैं हो गये पाकर अनुग्रह कीमती जो काँच सोने की अंगूठी में जड़े हैं हो गई है मौन प्रतिभा बन्दिनी सी सांस पर दुःस्वार्थ के पहरे कड़े हैं बड़े धार्मिक खड़े हैं बन्दूक ताने इबादत की जगह तो पत्थर अड़े हैं दबाओं से दर्द बढ़ता जा रहा हैं बड़ों के बोये गड़े कांटे सड़े हैं उन बड़ों की बात भी करना बुरा है याद से ही कटारे होते खड़े हैं