भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निष्ठुर / सौमित्र सक्सेना
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:39, 31 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सौमित्र सक्सेना |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> घोंसले से ब…)
घोंसले से बिछुड़ी
बरसात की चिड़िया एक
आती है
रोशनदान से
कमरे के पंखे से कटकर
आ गिरती है
गोद में मेरी ।
मैं उसे
वैसे ही
खिड़की से बाहर
उड़ा देता हूँ
हर बार और
लिखने लगता हूँ एक और शब्द
अपनी प्रेम कविता का
दूसरे शब्द के लिए
मुझे उसके
दोबारा आकर गिरने की
प्रतीक्षा करनी होती है ।