भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:18, 5 सितम्बर 2010 का अवतरण
क्या हो गया कबीरों को
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | शेरजंग गर्ग |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- ग़लत समय में सही बयानी / शेरजंग गर्ग
- खुद से रूठे हैं हम लोग / शेरजंग गर्ग
- आदमी हर तरह लाचार है / शेरजंग गर्ग
- सतह के समर्थक समझदार निकले / शेरजंग गर्ग
- आदमी की अज़ीब सी हालत है / शेरजंग गर्ग
- हौंसलों में फ़कत उतार सही / शेरजंग गर्ग
- आवाज़ आ रही है / शेरजंग गर्ग
- मत पुछिए क्यों / शेरजंग गर्ग
- कोई शहर गुमशुदा है / शेरजंग गर्ग
- कफ़ी नहीं तुम्हारा / शेरजंग गर्ग
- दर्द की चाशनी है / शेरजंग गर्ग
- मेरे समाज की हालत / शेरजंग गर्ग
- स्वच्छ, सजग अधिकार कहाँ / शेरजंग गर्ग
- सब करार को तरसे / शेरजंग गर्ग
- काँच निर्मित घरों के / शेरजंग गर्ग
- ऐसी हालत मे क्या किया जाए / शेरजंग गर्ग
- हम क्यों न सबको ठीक तरज़ू पे तोलते / शेरजंग गर्ग
- बुझ गई रोशनी / शेरजंग गर्ग
- चोटियों में कहाँ गहराई है / शेरजंग गर्ग
- खुश हुए मार कर ज़मीरों को / शेरजंग गर्ग
- जब पूछ लिया उनसे / शेरजंग गर्ग
- न पूछिए हम कहाँ से / शेरजंग गर्ग
- आप कहने को बहुत ज्यादा बड़े है / शेरजंग गर्ग
- चन्द सिक्को की खुराफ़ात से क्या होना है / शेरजंग गर्ग
- नर्म रहकर न यहाँ बैठना, न चलना होगा / शेरजंग गर्ग
- महाजनो के ऊँचे तर्क / शेरजंग गर्ग
- सारे जलते प्रश्न खो गए / शेरजंग गर्ग
- हारे पहुँचे हुए वकील / शेरजंग गर्ग
- पा गए लोग बड़े पद प्यारे / शेरजंग गर्ग
- देश को शौक से खाते रहिए / शेरजंग गर्ग
- देस-परदेस में जनतंत्र का हंगामा है / शेरजंग गर्ग
- हम तिकड़्मों के बल पर शासन सम्भालते है / शेरजंग गर्ग
- देश चारो ओर धू-धू जल रहा है / शेरजंग गर्ग
- गम का पर्वत, तम का झरना / शेरजंग गर्ग
- लिग क्यो व्यर्थ हमसे जलते है / शेरजंग गर्ग
- मंज़िलो की नज़र में रहना है / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग
- / शेरजंग गर्ग