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एक मुकुट की तरह/ केदारनाथ सिंह
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रचनाकार: केदारनाथ सिंह
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पृथ्वी के ललाट पर
एक मुकुट की तरह
उड़े जा रहे थे पक्षी
मैंने दूर से देखा
और मैं वहीं से चिल्लाया
बधाई हो
पृथ्वी, बधाई हो !
('अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से)