भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टोपी / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:01, 7 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश अग्रवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> तरह-तरह की टोपि…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तरह-तरह की टोपियाँ
हमारे देश में
सबका एक ही काम

सिर ढकना

नहीं एक और काम
विभाजित करना

लोगों को
अलग-अलग समुदायों में ।