भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोहरे में पहलगाम / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:57, 8 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द…)
छायाओं का कोई संबंध
पेड़ों की
उम्र से भी रहता होगा
कैसा लगता है
जब पेड़ अपनी ही
उम्र की छायाओं में ,झीनी चादर में लिपटे
अलसाये उंघते हैं
कश्मीर (पहलगाम)