Last modified on 10 सितम्बर 2010, at 12:37

अब तो बोल / गोबिन्द प्रसाद

Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 10 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


पहले-पहल उन्होंने आँका
हमारे हाथों का मोल
फिर आँखों के अनछुए
सपने अन-मोल
फिर; पेट की आग को
देख गया छू कर
टटोल,टटोल
बोल,मिट्टी के माधो
अब तो बोल