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उस पहाड़ के पीछे / महेंद्रसिंह जाडेजा
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तार पर बैठा हुआ किंगफ़िशर
और हरे-भरे खेतों के
बीच से गुज़रती ट्रेन,
नीले-नीले जंगली फूलों से
गुँथी हुई हरी-हरी याद,
तालाब के किनारे
टोली बनाकर खड़े सुरखाब,
बाँस की पत्तियों को सरसराती हवा
यह सब कुछ
उस पहाड़ के पीछे है ।
मैने उसे देखा नहीं
पर ये निश्चित
उस पहाड़ के पीछे है ।
मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : क्रान्ति