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नाथ हो कोटिन दोष हमारो / लक्ष्मीनाथ परमहंस

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नाथ हो कोटिन दोष हमारो ।
कहाँ छिपाऊँ, छिपत ना तुमसे, रवि ससि नैन तिहारौ ।। टेक ।।
जल, थल, अनल, अकास, पवन मिलि, पाँचो है रखवारो ।
पल-पल होरि रहत निसी बासर तिहुँ पुर