रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} साँचा:KKCatGazal
यह जो शाम सिंदूरी है
सूरज की मजबूरी है
तेरी आदत है मुस्कान
अपनी तो मजबूरी है
और हिरन का जीवन बस
जितने दिन कस्तूरी है
दौलत या इज्जत ले लूँ
लेकिन कौन जरूरी है
आखिर कब मिट पाएगी
हम तुम में जो दूरी है
दफ्तर-दफ्तर है राइज
वह शै जो दस्तूरी है
सबके लिबासों में सर्वत
खुशबू क्यों काफूरी है?