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एक और दिन / गुलज़ार
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द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:24, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण
खाली डिब्बा है फ़क़त, खोला हुआ चीरा हुआ
यूँ ही दीवारों से भिड़ता हुआ, टकराता हुआ
बेवजह सड़कों पे बिखरा हुआ, फैलाया हुआ
ठोकरें खाता हुआ खाली लुढ़कता डिब्बा
यूँ भी होता है कोई खाली-सा- बेकार-सा दिन
ऐसा बेरंग-सा बेमानी-सा बेनाम-सा दिन