भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द की महफ़िल सजाना चाहती हूँ / अल्पना नारायण

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:48, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण ("दर्द की महफ़िल सजाना चाहती हूँ / अल्पना नारायण" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द की महफ़िल सजाना चाहती हूँ
साज़ छेड़ो, गुनगुनाना चाहती हूँ

यूँ ही रस्मन पूछ बैठी हाल-चाल
वो ये समझा दिल दुखाना चाहती हूँ

उम्र भर का साथ तो मुमकिन नहीं है
साथ पल दो पल बिताना चाहती हूँ

युद्ध में जब हो गया बेटा 'शहीद'
माँ पे क्या गुज़री बताना चाहती हूँ

आग नफ़रत की बुझाने के लिए मैं
प्रेम की गंगा बहाना चाहती हूँ