भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कितने दिन हो गए पिया को शहर गए / अल्पना नारायण
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:00, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण ("कितने दिन हो गए पिया को शहर गए / अल्पना नारायण" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
कितने दिन हो गए पिया को शहर गए
पलकों पर दो आँसू आकर ठहर गए
बचपन से रक्खा था दिल के कोने में
वो अरमान न जाने सब अब किधर गए
ख़्वाबों की तस्वीर सजाई थी हमने
इधर-उधर सब रंग अचानक बिखर गए
आज़ादी पर उनको भाषण देना था
घर के पंछी के दोनों पर कतर गए
जिनके कारण रुसवाई का दंश सहा
वो भी आज बिना कुछ बोले गुज़र गए