भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सत्ता / पूनम तुषामड़
Kavita Kosh से
Firstbot (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:19, 24 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूनम तुषामड़ |संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषाम…)
देखो हमारी
आंखों में आंखे डाल
और कहो-
कि... तुम्हारी सरकार
जनता के हितों के लिए
लड़ी है
ज़रा कहो तो
तुम्हारी कथित
जनता में मेरी ‘जात’
कहां खड़ी है।