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देखना-सुनना-कहना / केशव शरण
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किसी का सिर
आ जाता है आड़े
किसी की टोपी
किसी का कंधा
पूरा-पूरा दिखाई नहीं पड़ता है गोरखधंधा
और पूछिए तो
एक अलग कहानी सुनाता है हर बंदा
फिर कहिए भी तो
क्या कहिए !