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दस शिशु कविताएँ / दीनदयाल शर्मा

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बन्दर
खों-खों करके
उछला बन्दर ।
जो जीते
कहलाए सिंकन्दर ।।

तोता
टिउ - टिउ जब
तोता बोला ।
पिंकी ने
पिंजरे को खोला ।।

चूहा
चूँ - चूँ करके
चूहा बोला ।
सूरज गरम
आग का गोला ।।

बिल्ली
बिल्ली बोली
म्याऊँ-म्याऊँ ।
दूध मलाई
डट के खाऊँ ।।

घोड़ा
घोड़ा जोर से
हिनहिनाया ।
हमने
अनुशासन अपनाया ।।

बकरी
में- में कर
बकरी मिमियाई ।
हमको भाती
खूब मिठाई ।।

मेंढक
टर्र - टर्र
मेंढक टर्राया ।
मेहनत से
ना मैं घबराया ।।

गधा
ढेचूँ-ढेचूँ
गधा जो रेंका ।
कचरा
कूड़ेदान में फेंका ।।

कुत्ता
भौं - भौं करके
कुत्ता भौंका ।
आया इक
आंधी का झोंका ।।

शेर
हूँ-हूँ करके
शेर दहाड़ा ।
मंदिर में
बज उठा नगाड़ा ।।