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चट्टान / लीलाधर मंडलोई
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मदन महल की पहाड़ी पर
कुदरत का आश्चर्य
एक बड़ी सी असम्भव चट्टान
नीचे छोटी वाली पर टिकी हुई
मुझे याद हो आया बचपन
मां जैसे
अब गिरी कि तब