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संगीत / लीलाधर मंडलोई

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मैंने हारने के लिए
यह लड़ाई शुरू नहीं की थी

इन अभाव के दिनों में भी
जितना खुश हुआ
उतना पहले कभी नहीं
कि इधर कर्ज में जीने की आदत

मैंने कई रास्‍ते किये पार पैदल
धीमे-धीमे इतने कि
न सुनाई दे मुझे
मेरे ही कदमों की आहट

मधुर-मधुर बज रहा है
फाकामस्‍ती का संगीत
और स्‍वर्ग से अलहदा नहीं है यह सुख कि

बच्‍चे मेरे सो रहे हैं गहरी नींद में