भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लज्जा / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:25, 29 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर म…)
यह एक सीधी सरल बात है कि
तुम नहीं चाहते मुझे
मेरे लिए यह लज्जा की बात है
जबकि तुम मेरे इतने अभिन्न
मैं निःशब्द हूं एक वृक्ष की तरह
इसका मतलब यह नहीं कि
मैं नहीं हो सकता तुम्हारी तरह
होना तुम्हारी तरह एक लज्जा की बात है