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रूलाई / लीलाधर मंडलोई
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जीवन में हंसने का अनुपात
निकल आता है रोने से अधिक
मुझे याद नहीं रहते
हंसने के पल
याद है अपना हर रोना
रूलाई की स्मृति सबसे गाढ़ी है