भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ब्रह्माण्ड / मक्सीम तांक

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:07, 1 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मक्सीम तांक |संग्रह= }} Category: बेलारूसी भाषा <Poem> पृ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पृथ्वी टिकी है तीन हाथियों पर
हाथी- विशालकाय कछुओं पर
कछुए- फ़ाख़्ता पर
फ़ाख़्ता- गेहूँ की बाली पर
बाली- बच्चे के पालने पर
पालना- माँ की लोरि पर

जब तक गूँजती रहेगी लोरी
झूलता रहेगा पालना
फूटता रहेगा बीज
घोंसला बनाती रहेगी फ़ाख़्ता
आकाशगंगा से गुज़रता रहेगा कछुआ
क़दम से क़दम मिलाते बढ़ते रहेंगे हाथी
सदा-सदा रहेगी धरती
हरी-भरी, हरी-भरी ।

रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह