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वह चेहरा / भरत प्रसाद

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गाय का कटा हुआ सिर कुल्हाड़ी से फटता देखकर

हमें माफ़ कर देना
इसके बावजूद
कि हम अंधे नहीं हैं
और तुम्हें रोज़-रोज़ कटता हुआ देखना
बर्दाश्त कर लेते हैं!

हमें माफ़ कर देना
इसके बावजूद
कि तुम्हारी बाहर निकली हुई मुर्दा आँखों को
एकटक देखते हैं
और कोई दर्द नहीं उठता!

हमें इसके लिए भी
माफ़ कर देना
कि वर्षों से तुम्हारे कटे हुए सिर को
लगातार फोड़ा जा रहा है
और मैं निकम्मा-सा
चुपचाप बैठा हुआ हूँ!

हमें इसके लिए भी
माफ़ कर देना
कि हमारी रगों में
तुम्हारे दूध का ख़ून नहीं
गंदा-सा कायरपन दौड़ रहा है!

हमें वैसा बिल्कुल मत समझना
जैसा कि लोग कहते हैं
हमें गर समझना है
तो बंजर को समझना
नाले को समझना
घास चरने के दौरान
मुँह में चुभते हुए काँटे
और गर्दन में धँसे हुए हथियार को समझना।

हमें माफ़ कर देना
हम तुम्हारी तरह पशु नहीं
बुद्धिमान आदमी हैं!