Last modified on 21 अक्टूबर 2010, at 12:04

लौट आई दूर जा कर नज़र / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:04, 21 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= पुरुषोत्तम 'यक़ीन' |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}}‎ <poem> लौट आई द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लौट आई दूर जा कर नज़र
जो गया वो फ़िर न आया लौट कर

आदमी दर आदमी देखा किए
आदमी आया नही कोई नज़र

बुदबुदाया शहर में आ कर फ़कीर
क्यूँ चला आया मैं जंगल छोड कर

कौन देगा अब उसे मेरा पता
कैसे मैं लाऊँगा उस को ढूँढ कर

फिर मुरव्वत में किया उस पर 'यक़ीन'
फिर समझ बैठा हूँ उस को मोतबर