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जवान दिन / केदारनाथ अग्रवाल
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दायें-बायें
सुबह-शाम : इन
कामरूप दो सुंदरियों के बीच
जवान दिन हैरान
युगों से
भरी दुपहरी में तपता है।
रचनाकाल: ०१-०८-१९६१