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स्याह-सफ़ेद / जानकीवल्लभ शास्त्री

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स्याह-सफ़ेद डालकर साए
मेरा रंग पूछने आए !

मैं अपने में कोरा-सादा
मेरा कोई नहीं इरादा
ठोकर मर-मारकर तुमने
बंजर उर में शूल उगाए
स्याह-सफ़ेद