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गेहूँ का थैला / सत्यनारायण सोनी
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बचपन में लिखे थे उसने
कुछ अपशब्द
दीवार की छाती पर.
अब कई गुणा होकर
पसर गए हैं बरसों बाद
पोत देना चाहता है वह उन्हें
एक ही झटके में
एक साथ.
बेटी जो
इसी गली से
स्कूल जाने-आने लगी है.