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मेरा ईश्वर / फ़रीद खान
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मेरा और मेरे ईश्वर का जन्म एक साथ हुआ था ।
हम घरौन्दे बनाते थे,
रेत में हम सुरंग बनाते थे ।
वह मुझे धर्म बताता है,
उसकी बात मानता हूँ,
कभी कभी नहीं मानता हूँ ।
भीड़ भरे इलाक़े में वह मेरी तावीज़ में सो जाता है,
पर अकेले में मुझे सम्भाल कर घर ले आता है।
मैं सोता हूँ,
रात भर वह जगता है ।
उसके भरोसे ही मैं अब तक टिका हूँ, जीवन में तन कर खड़ा हूँ ।