भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण
Kavita Kosh से
Kumar anil (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:38, 11 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>अब खोजनी है आमरण कोई शरण कोई शरण गोधुली मंडित सूर्य हूँ खंडित ह…)
अब खोजनी है आमरण
कोई शरण कोई शरण
गोधुली मंडित सूर्य हूँ
खंडित हुआ वैदूर्य हूँ
मेरा करेंगे अनुसरण
किसके चरण किसके चरण
अभिजात अक्षर- वंश में
निर्जन हुए उर- ध्वंस में
कितने सहेजूँ संस्मरण
कितना स्मरण कितना स्मरण
निर्वर्ण खंडहर पृष्ठ हैं
अंतरकथाएं नष्ट हैं
व्यक्तित्व का ये संस्करण
बस आवरण बस आवरण
रतियोजना से गत प्रहार
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण