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बादल / केदारनाथ अग्रवाल
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बादल ने बदल दिया मौसम का रुतबा
पानी का व्याप गया
दुनिया में दबदबा
ऊपर को उमड़ चलीं नीचे की नदियाँ
टूटे पुल
टूट गई
टूक टूक सदियाँ
रचनाकाल: २४-०७-१९७९