भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़्वाब के गाँव में/जावेद अख़्तर

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:26, 12 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जावेद अख़्तर |संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर }} [[Category:…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



ख़्वाब के गाँव में पले है हम
पानी छलनी में ले चले है हम


छाछ फूंकें की अपने बचपन में
दूध से किस तरह जले है हम


ख़ुद है अपने सफ़र की दुश्वारी<ref>मुश्किल</ref>
अपने पेरों के आबले<ref>छाले</ref> है हम


तू तो मत कह हमें बुरा दुनिया
तुने ढाला है और ढले है हम


क्यूँ है, कब तक है, किस की खातिर है,
बड़े संजीदा <ref>गंभीर</ref> मसअले<ref>समस्या</ref> है हम

शब्दार्थ
<references/>