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इत्तफ़ाक से हुई मुलाक़ात हमारी / इवान बूनिन
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इत्तफ़ाक से हुई मुलाकात हमारी
वहाँ सड़क पर उस कोने में
मैं जल्दी में था,
गुज़र रहा था लिए हुए कुछ दोने में
पल-भर को बिजली-सी झलकी
वह मुझे दिखी अचानक
उसकी पलकों में बसी हुई थी वही पुरानी रौनक
पारदर्शी कपड़े की जाली से
चेहरा उसका ढका हुआ था
उस दिन मैं कुछ परेशान था
और बेहद थका हुआ था
शायद इसीलिए लगा मुझे ऐसा कि
झोंका पुरवाई का आया
तेज़ चमकती नज़र को उसकी
मैंने पहले-सा ज़िन्दादिल पाया
बड़े स्नेह से अभिवादन में उसने
सिर मेरे समक्ष हिलाया
फिर हवा से बचने के लिए
चेहरे को थोड़ा झुकाया
और ग़ायब हो गई वह उस कोने में
वसन्त-काल में उस दिन
उसने मुझे माफ़ कर दिया पहले,
फिर पूरी तरह भुलाया
(1905)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय