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खैनी की डिबिया / निलय उपाध्याय

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यह कोई घटना नहीं थी
दुर्घटना तो कतई थी ही नहीं
महज संयोग था कि हम खड़े थे सड़क के किनारे
और हड़-हड़, खड़-खड़ करते सामने से
गुज़र गया ट्रैक्टर

ट्रैक्टर के गुज़रने में भी
आख़िर क्या हो सकता था हमारे लिए
वो तो ड्राइवर के पासवाली जगह से गिरी थी
प्लास्टिक की नन्हीं-सी डिबिया
और बावलेपन में दौड़ गई ट्रैक्टर के पीछे

हमें अच्छा लगा
डिबिया का ट्रैक्टर के पीछे दौड़ना

ट्रैक्टर
शहर के बाहर जब किसी भट्ठे पर रुकेगा
उतरेंगे मजूर और ईंटों की लदान के ठीक पहले
जब कोई मजूर
अपने कमर के फेंटे पर ले जाएगा हाथ
पछताएगा और हारकर निहारेगा अपने साथियों को....

उसे क्या पता
किस गति से उसका पीछा किया था
इस नन्हीं-सी जान ने, किस अधीरता से दी थी
उसे आवाज़