रचनाकार=सर्वत एम. जमाल संग्रह= }} साँचा:KKCatGazal
पहले ऐसा लगाव था ही नहीं
यह हमारा स्वभाव था ही नहीं
सैकड़ों मर गए अभावों से
वो कहेंगे अभाव था ही नहीं
हार कर जंग लोग जब लौटे
जिस्म पर कोई घाव था ही नहीं
शहर देहात उस समय डूबे
जब नदी में बहाव था ही नहीं