सही इंसान बनने के इरादों पर अमल होगा
किसी के काम आएंगे तभी जीवन सफल होगा
ठिकाना है नही जब एक पल का,एक लम्हे का
बहुत मुश्किल है ये कहना कहाँ फिर कौन कल होगा
भटकता फिर रहा हूँ पर मुझे मालूम है यह भी
वहीँ जाएगी बेटी जिस जगह का अन्न-जल होगा
मुकद्दर का लिखा कितना सही होगा खुदा जाने
मगर जो कर्म से लिख दोगे वो बिलकुल अटल होगा
ज़माने के हर इक दुख-दर्द से जुड जायेंगे जब हम
कहीं भी देख कर आँसू हमारा मन सजल होगा
जहाँ कोई न होगा और मुश्किल सामने होगी
वहाँ भी साथ देने को तुम्हारा आत्मबल होगा