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तरस / शरद चन्द्र गौड़
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मुझे उसकी बुद्धि , पर तरस आता है
चाँद पर जो थूकने निकला
उसकी अक्ल पर तरस आता है
चाँद पर गर थूकोगे तो
थूक तुम्हारे ऊपर ही गिरेगा
चाँद पर गर थूकना है तो
सितारे बन जाओ
अपनी चमक से
जग को चमकाओ
झिलमिलाओ टिमटिमाओ
मत थूको चाँद पर
उसे रहने दो चाँद
गटक जाओ अपने थूक को
पी जाओ अपने क्रोध को
प्यार से किसी को गले लगाओ
तुम चाँदनी बन जाओ
तुम चाँदनी बन जाओ