भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुकाळ / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:55, 24 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>बुझ्योड़ा चूल्हा ऊंधी हांडिया थाली थाळियां घरां में मिनख-लुग…)
बुझ्योड़ा चूल्हा
ऊंधी हांडिया
थाली थाळियां
घरां में
मिनख-लुगाई-टाबर करै अकासिया
टेर देवै नाड़
पण
गांव रै बारै
नित गोठ करै
गिरज अर काग
रूच-रूच जीमै
नाचै-गावै
उच्छब मनावै ।